ईश्वर "टूटी" हुई चीज़ों का इस्तेमाल कितनी ख़ूबसूरती से करता है ..,,
जैसे ....
बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है ......
मिट्टी टूटने पर खेत का रुप ले लेती है ....
पौधा टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है .....
और बीज टूटने पर एक नये पौधे की
संरचना होती है ....
इसीलिये जब आप ख़ुद के अंदर कोई टूटन महसूस करे तो समझ लिजिये ईश्वर आपका इस्तेमाल किसी बड़ी उपयोगिता के लिये
प्रयासरत है।
जैसे ....
बादल टूटने पर पानी की फुहार आती है ......
मिट्टी टूटने पर खेत का रुप ले लेती है ....
पौधा टूटने पर बीज अंकुरित हो जाता है .....
और बीज टूटने पर एक नये पौधे की
संरचना होती है ....
इसीलिये जब आप ख़ुद के अंदर कोई टूटन महसूस करे तो समझ लिजिये ईश्वर आपका इस्तेमाल किसी बड़ी उपयोगिता के लिये
प्रयासरत है।
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