Tuesday, March 29, 2016

चलने वाले दोनों पैरों में कितना फर्क है ...

एक आगे तो एक पीछे,

फिर भी न आगे वाले को अभिमान ...

न पीछे वाले का अपमान,

क्युकी उन्हें मालूम है की एक पल में ही ये बदलने वाला है,

शायद ज़िन्दगी इसी को कहते हैं.

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