*जिन्दगी जब देती है,*
*तो एहसान नहीं करती*
*और जब लेती है तो,*
*लिहाज नहीं करती*
*दुनिया में दो ‘पौधे’ ऐसे हैं*
*जो कभी मुरझाते नहीं और*
*अगर जो मुरझा गए तो उसका*
*कोई इलाज नहीं।*
*पहला –* *‘नि:स्वार्थ प्रेम’*
*दूसरा –* *‘अटूट विश्वास’*
*तो एहसान नहीं करती*
*और जब लेती है तो,*
*लिहाज नहीं करती*
*दुनिया में दो ‘पौधे’ ऐसे हैं*
*जो कभी मुरझाते नहीं और*
*अगर जो मुरझा गए तो उसका*
*कोई इलाज नहीं।*
*पहला –* *‘नि:स्वार्थ प्रेम’*
*दूसरा –* *‘अटूट विश्वास’*
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