*जीवन से जो भी मिले*
*उसे पचाना सीखो..*
*क्योंकि भोजन ना पचने पर चर्बी बढ़ती है.*
*पैसा ना पचने पर दिखावा बढ़ता है..*
*बात ना पचने पर चुगली बढ़ती है..*
*प्रशंसा ना पचने से अहंकार बढ़ता है..*
*निंदा ना पचने पर दुश्मनी बढ़ती है..*
*राज़ ना पचने पर खतरा बढ़ता है..*
*दुख ना पचने पर निराशा बढ़ती है..*
*और सुख ना पचने पर पाप बढ़ता है..*
*कड़वा है,*
*किन्तु सत्य है यह.!*
*उसे पचाना सीखो..*
*क्योंकि भोजन ना पचने पर चर्बी बढ़ती है.*
*पैसा ना पचने पर दिखावा बढ़ता है..*
*बात ना पचने पर चुगली बढ़ती है..*
*प्रशंसा ना पचने से अहंकार बढ़ता है..*
*निंदा ना पचने पर दुश्मनी बढ़ती है..*
*राज़ ना पचने पर खतरा बढ़ता है..*
*दुख ना पचने पर निराशा बढ़ती है..*
*और सुख ना पचने पर पाप बढ़ता है..*
*कड़वा है,*
*किन्तु सत्य है यह.!*
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