*मंदिर* में दाना चुगकर चिड़ियां
*मस्जिद* में पानी पीती हैं
मैंने सुना है *राधा* की चुनरी
कोई *सलमा* बेगम सीती हैं
एक *रफी* था महफिल महफिल
*रघुपति राघव* गाता था
एक *प्रेमचंद* बच्चों को
*'ईदगाह'* सुनाता था
कभी *कन्हैया* की महिमा गाता
*रसखान* सुनाई देता है
औरों को दिखते होंगे *हिन्दू* और *मुसलमान*
मुझे तो हर शख्स के भीतर *इंसान*
दिखाई देता है।
*मस्जिद* में पानी पीती हैं
मैंने सुना है *राधा* की चुनरी
कोई *सलमा* बेगम सीती हैं
एक *रफी* था महफिल महफिल
*रघुपति राघव* गाता था
एक *प्रेमचंद* बच्चों को
*'ईदगाह'* सुनाता था
कभी *कन्हैया* की महिमा गाता
*रसखान* सुनाई देता है
औरों को दिखते होंगे *हिन्दू* और *मुसलमान*
मुझे तो हर शख्स के भीतर *इंसान*
दिखाई देता है।
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