Tuesday, July 12, 2016

सच है

*एक व्यक्ति ने एक नया मकान खरीदा ! उसमे फलों का बगीचा भी था। पडौस का मकान पुराना था और उसमे कई लोग रहते थे।*

*कुछ दिन बाद उसने देखा, कि पडौस के मकान से किसी ने बाल्टी भर कूडा, उसके घर के दरवाजे पर डाल दिया है।*

*शाम को उस व्यक्ति ने एक बाल्टी ली, उसमे ताजे फल रखे और उस घर के दरवाजे की घंटी बजायी।*

*उस घर के लोग बेचैन हो गये और वो सोचने लगे, कि वह उनसे सुबह की घटना के लिये लडने आया है..!*

*अतः वे पहले ही तैयार हो गये और बुरा भला बोलने लगे।*

*मगर जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला, वे हैरान हो गये। रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ,*
*मुस्कान चेहरे पर लिये नया पडोसी, सामने खडा था...! सब हैरान थे।*
.
.
.
.
.

*उसने कहा -- जो मेरे पास था, वही मैं आपके लिये ला सका...!*

*सच है जिसके पास जो है, वही वह दूसरे को दे सकता है..!*

*जरा सोचिये, कि आपके पास दूसरो के लिये क्या है..?*

*दाग तेरे दामन के धुले ना धुले,*
*नेकी तेरी कही तुला पर तुले ना तुले।*
*मांग ले अपनी गलतियो की माफी खुद से,*
*क्या पता आँख कल ये खुले ना खुले ?*

*प्यार बांटो प्यार मिलेगा,*
*खुशी बांटो खुशी मिलेगी.......

posted from Bloggeroid

No comments:

Post a Comment