आज का प्रेरक प्रसंग "समय किसी की राह नहीं देखता"
"नदी का पानी"
एक संत बहुत दिनों से नदी के किनारे बैठे थे,
एक दिन किसी व्यकि ने उससे पूछा आप नदी के किनारे बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं ?
संत ने कहा, इस नदी का जल पूरा का पूरा बह जाए इसका इंतजार कर रहा हूँ।
व्यक्ति ने कहा यह कैसे हो सकता है। नदी तो बहती ही रहती है सारा पानी अगर बह भी जाए तो आप को क्या करना ?
संत ने कहा मुझे दूसरे पार जाना है । सारा जल बह जाए, तो मैं चल कर उस पार जाऊँगा।
उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा - आप पागल नासमझ जैसी बात कर रहे हैं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
तब संत ने मुस्कराते हुए कहा - यह काम तुम लोगों को देख कर ही सीखा है। तुम लोग हमेशा सोचते रहते हो कि जीवन मे थोड़ी बाधाएं कम हो जाएं, कुछ शांति मिले, फलाना काम खत्म हो जाए तो सत्कार्य करेगें।
जीवन भी तो नदी के समान है यदि जीवन मे तुम यह आशा लगाए बैठे हो, तो मैं इस नदी के पानी के पूरे बह जाने का इंतजार क्यों न करूँ..?
बहनों और भाईयों, वक्त किसी के लिये रुकता नहीं। अगर हम सत्कार्य करने के लिये जीवनचर्या की गतिविधियों के खत्म होने का इन्तजार करते रहेंगे तो हम सारे अवसर हाथ से गवां बैठेंगे ।
क्या मालूम कौन सी श्वास आखरी हो ।
प्रेषक -: योगेश पारेख
"नदी का पानी"
एक संत बहुत दिनों से नदी के किनारे बैठे थे,
एक दिन किसी व्यकि ने उससे पूछा आप नदी के किनारे बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं ?
संत ने कहा, इस नदी का जल पूरा का पूरा बह जाए इसका इंतजार कर रहा हूँ।
व्यक्ति ने कहा यह कैसे हो सकता है। नदी तो बहती ही रहती है सारा पानी अगर बह भी जाए तो आप को क्या करना ?
संत ने कहा मुझे दूसरे पार जाना है । सारा जल बह जाए, तो मैं चल कर उस पार जाऊँगा।
उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा - आप पागल नासमझ जैसी बात कर रहे हैं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
तब संत ने मुस्कराते हुए कहा - यह काम तुम लोगों को देख कर ही सीखा है। तुम लोग हमेशा सोचते रहते हो कि जीवन मे थोड़ी बाधाएं कम हो जाएं, कुछ शांति मिले, फलाना काम खत्म हो जाए तो सत्कार्य करेगें।
जीवन भी तो नदी के समान है यदि जीवन मे तुम यह आशा लगाए बैठे हो, तो मैं इस नदी के पानी के पूरे बह जाने का इंतजार क्यों न करूँ..?
बहनों और भाईयों, वक्त किसी के लिये रुकता नहीं। अगर हम सत्कार्य करने के लिये जीवनचर्या की गतिविधियों के खत्म होने का इन्तजार करते रहेंगे तो हम सारे अवसर हाथ से गवां बैठेंगे ।
क्या मालूम कौन सी श्वास आखरी हो ।
प्रेषक -: योगेश पारेख
No comments:
Post a Comment