Saturday, November 14, 2015

उल्टी पड़ी है, कश्तीयाँ रेत पर मेरी,
कोई ले गया है, दिल से समंदर निकाल

फोन में कुछ नंबर सेव कर रखे हैं..

कुछ रिश्ते हैं मेरे..
जो अब बस इसी में बचे हैं..!!

🍂🍂🍂🍂

हथेली पर रखकर नसीब,
तु क्यो अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है

सीख उस समन्दर से,
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है"!!!

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