😄 इस कहानी पर ध्यान दें
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय
से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत
तथा ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के
भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक .......
जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट
देने का वादा कर रक्खा था !
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी
तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ....
वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे
दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर
काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते -
कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती
थी कि मैं भी enjoy करूँ !
पर उसे अखरोट याद आ जाता था !
और वो फिर काम पर लग जाती !
शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास
भी काम करने के लिये भेज देता था !
ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना
चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था !
ऐसे ही समय बीतता रहा....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के
राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट
दे कर आजाद कर दिया !
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने
लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?
पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस
गये, इसे खाऊँगी कैसे !
😄😄😄😄😄😄😄😄
दोस्तों यह कहानी आज जीवन की हकीकत
बन चुकी है !
इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है,
और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है !
60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है
तो उसे उसका फन्ड मिलता है !
तब तक जनरेसन बदल चुकी होती है, परिवार
को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।
क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा
लग पयेगा की इस फन्ड के लिये : -
कितनी इच्छायें मरी होगी ?
कितनी तकलीफें मिलि होगी ?
कितनें सपनें रहे होंगे ?
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
दोस्तों क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे
पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय
और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !
"इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी
तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय
को खरीद सके ।
😄 So Enjoy everything with time coz aftr time gone nothing is worth😄
एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय
से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत
तथा ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के
भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक .......
जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट
देने का वादा कर रक्खा था !
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी
तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ....
वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे
दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर
काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते -
कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती
थी कि मैं भी enjoy करूँ !
पर उसे अखरोट याद आ जाता था !
और वो फिर काम पर लग जाती !
शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास
भी काम करने के लिये भेज देता था !
ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना
चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था !
ऐसे ही समय बीतता रहा....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के
राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट
दे कर आजाद कर दिया !
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने
लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?
पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस
गये, इसे खाऊँगी कैसे !
😄😄😄😄😄😄😄😄
दोस्तों यह कहानी आज जीवन की हकीकत
बन चुकी है !
इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है,
और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है !
60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है
तो उसे उसका फन्ड मिलता है !
तब तक जनरेसन बदल चुकी होती है, परिवार
को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।
क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा
लग पयेगा की इस फन्ड के लिये : -
कितनी इच्छायें मरी होगी ?
कितनी तकलीफें मिलि होगी ?
कितनें सपनें रहे होंगे ?
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दोस्तों क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे
पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय
और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !
"इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी
तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय
को खरीद सके ।
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