"चल आ तेरे पैरों पर
मरहम लगा दू ऐ मुकद्दर"
"कुछ चोटे तुझे भी आई होंगी
मेरे सपनों को ठोकरे मारते मारते"
@@@
शोधवा खुद ने दिशा हुं दस फर्यो..
पण ना ज मल्यो..
आखरे मारी ज भीतर मां हुं
आबेहुब जड्यो
🌹🍃🌹🍃💲🌹
'अकड़'
शब्द में कोई मात्रा नहीं है !
पर ये अलग-अलग मात्रा में
हर एक इन्सान में मौजूद है..!!
मरहम लगा दू ऐ मुकद्दर"
"कुछ चोटे तुझे भी आई होंगी
मेरे सपनों को ठोकरे मारते मारते"
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शोधवा खुद ने दिशा हुं दस फर्यो..
पण ना ज मल्यो..
आखरे मारी ज भीतर मां हुं
आबेहुब जड्यो
🌹🍃🌹🍃💲🌹
'अकड़'
शब्द में कोई मात्रा नहीं है !
पर ये अलग-अलग मात्रा में
हर एक इन्सान में मौजूद है..!!
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