Saturday, April 30, 2016

प्रशंसा से पिघलना मत,
आलोचना से उबलना मत..
निस्वार्थ भाव से कर्म करो क्योंकि,
इस धरा का
इस धरा पर
सब धरा रह जाऐगा.✍

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