जीवन मे पीछे देखने से "अनुभव" मिलता है,
आगे देखने पर "आशा" मिलती है,
दाए-बाए देखने पर "सत्य" मिलता है
पर "परमात्मा" तो सिर्फ़ उन्ही को मिलते है जो अपने भीतर देखते है।
आगे देखने पर "आशा" मिलती है,
दाए-बाए देखने पर "सत्य" मिलता है
पर "परमात्मा" तो सिर्फ़ उन्ही को मिलते है जो अपने भीतर देखते है।
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